कविता : काश! प्यार की भूख सब में पैदा हो जाए


जिसका ज़मीर ज़िंदा है
वो खलल में है
जिसका मर गया
वो महल में है

किताबों में जो पढ़ा, वो
ज़िन्दगी में झूठ निकला

सच्चाई जीतती है?
नही, वो भूख से मरती है
या किसी सिरफिरे की गोली
उसे मार देती है
ठाएँ..ठाएँ..ठाएँ..

है राम..!
किस्सा खत्म

आओ झूठ बोले

क्यों..?

अरे नेता बनूँगा
मुझे राज महल चाहिये

सुन बावले
सबसे खतरनाक और पागलपन की भूख
पद की है.. सत्ता की है
चाहें वो धर्म की सत्ता हो या राजनीति की
पति के राज की हो या पत्नी की

मैरी समझ में लल्लू
संसार पर दार्शनिकों का राज होना चाहिये

लो मैं फिर किताबी बाते करने लगा
माफ़ करना मित्रों

सिर्फ जियो और जीने दो
रोटी.. कपड़ा.. मकान..
बिजली और पानी के साथ मुफ्त में
ज़िन्दगी में ओर क्या चाहिये ?

जो भी जीवन है उसे लो
उसमे अर्थ.. अनर्थ मत तलाश करो
अर्थ के लिये सवालों का सामना करना पड़ता है
और हर गणित.. दिमाग ख़राब कर देता है

अरे यार.. मैं किस पचड़े में पड गया ?
सोचना भी खतरनाक होता है
आज ये भी समझ में आ गया

अरे यारों, जैसे जी रहें हो वैसे जियो
बस किसी को दुःख ना पहुँचाओ
पर ये दुःख क्या है..?

परे हट..!
मुझे क्या गौतम बुद्ध समझ रखा है?
अरे! बड़े-बड़े अवतार पुरुष भी जिसको नही मिटा सके
उसके विषय में मत सोचो!

बस.. साठ..सत्तर..सौ बरस चैन से जियो
और फिर मर जाओ

बाकि सब बकवास

यकीन नही ?
तो पढ़ो इतिहास

पर गुरु! ज़िन्दगी में इज्ज़त
एक वफादार साथी
और प्यार भी तो होना चाहिये ना ?

मूर्ख! क्या होती है इज्ज़त ?
अरे पेट की भूख के सामने

सब ओउम नमो.. स्वाहा.. है
क्या होती है वफ़ा ?

अरे तन की भूख के सामने
वो भी ओउम नमो.. स्वाहा..है

क्या होता है प्यार ?
हाँ ये मन की भूख है

जो सत्य..शिवम.. सुन्दरम है

काश! प्यार की भूख, सबमे पैदा हो जाए

प्यार कोई बंधन नही लगाता
प्यार की सरहदे नही है
प्यार स्वार्थी नही होता
प्यार में शर्त नही होती

प्यार इबादत हो.. प्यार आदत हो
प्यार चुप्पी है.. ख़ामोशी है

ख़ामोशी सुन सको तो सुनो
हल्ला मत मचाओ

पर बड़े भाई
जाति.. धर्म..पंडित.. मौलवी
झानी.. आसमान..भगवान
सब इसके दुश्मन है..ऐसा बुजुर्ग कहते है

अच्छा..! तो चलो, पहले इनसे निपटे..!
बाकि बाते बाद में करेंगे 


तस्वीर प्रतीकात्मक BOOK TRIB से साभार।
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