सोशल मीडिया दोधारी तलवार है: कुछ सेफ्टी टिप्स


तुम और वो लड़की 
रात के तीसरे पहर चैट कर रहे हो।   
बात करते करते 
तुम्हें कामुकता का अहसास होता है। 
तुम बिना सोचे एक पल गवाए उससे फोटो की मांग कर देते हो। 
वो कहती है कि वो नहीं दे सकती। 

तुम अपने जिद्द पर अड़े रहते हो। 
वो तुम्हे समझाने की कोशिश करती है। 
तुम उसे तुमपर यकींन करने को कहते हो। 
वो कहती है शादी के बाद देख लेना, वो तुम्हारी ही तो है। 
तुम फिर भी नहीं मानते। 

फिर वो तुम्हें वेट करने को कहती है। 
तुम बड़े सब्र से इंतज़ार करते हो। 
फिर वो तस्वीरें भेज देती है। 
तुम खुश हो जाते हो। 
तुम उसे देख कर थोड़ी देर के बाद शांत हो जाते हो। 
अब वो तस्वीरें तुम्हे भद्दी लगने लगती है। 

फिर तुम अपने दोस्तों में अपनी रौब ज़माने के लिए,
उसकी तस्वीरें तुम अपने दोस्तों को भेजते हो;
ये कह कर कि वो देख कर डिलीट कर देंगे।
लेकिन उनमें से कोई उसे कहीं और फॉरवर्ड कर देता है।

फिर वो एक ऐसे हाथों में पहुँचता है,
जो उसे सोशल साइट पर उपलोड कर देता है।  
..और तो और वो उसे टैग भी कर देता है।  

फिर वो उन तस्वीरों को देखती है। 
तुम्हें मैसेज करती है। मिन्नतें करती है।
..और डिलीट करने को कहती है।
लेकिन तुम कहते हो कि ये तुमने नहीं किया है। 

वो फिर कहती है कि तुम डिलीट कर दोगे,
तो वो तुम्हें और सारी तस्वीरें देगी। 
तुम कहते हो कि तुम्हें नहीं पता; वो तस्वीरें कैसे लीक हो गयी।  
लोग अब उन तस्वीरों को लाइक और रियेक्ट करना शुरू करते हैं। 
कुछ लोग गंदे कमेंट करते है। कुछ बचाव करते है।
कुछ देख के उदास होते हैं, कुछ देख के हंसने लगते हैं। 

उस लड़की की सहेलियाँ, अब उसकी न्यूड तस्वीर देखती है।
कुछ हताश हो जाती हैं, कुछ को बेहद ख़ुशी मिलती है। 

कुछ उसके बचाव में कुछ कहती है,
लेकिन क्या फायदा लोग उसे देख चुके थे। 
कुछ लोग उन तस्वीरों को शेयर कर देते हैं,
तो कुछ सेव कर लेते है।
कुछ उस लोग उसके रिलेटिव को फॉरवर्ड कर देते हैं। 

अगले दिन वो स्कूल - कॉलेज जाती है। 
उसे देख कर उसके ही साथी,
उसपर फब्तियां कसना शुरू करते हैं। 
क्लास टीचर खड़ा होकर,
सब कुछ क्लास के सामने ही बताने का आर्डर दे देता है। 
लेकिन उसके मुंह से बोल नहीं निकल रहे। 
आखिर में उसे प्रिंसिपल ऑफिस में,
सारे टीचरों के सामने लाया जाता है। 
जहाँ वो सुन्न खड़ी है। 

आखिर में उसके पेरेंट्स को बुलाया जाता है।
माँ-बाप हाथ जोड़ते हैं,
लेकिन प्रिंसिपल को अपने स्कूल की इज्जत प्यारी है।
..और इन बैठकों का रिजल्ट ये निकला
कि उसे स्कूल से निकाल दिया गया। 

वो घर आयी और पहला काम ये हुआ
कि उसे जी भर कर पीटा गया।
पहले बाप ने पीटा, फिर उसके भाई ने।
उसका फ़ोन छीन लिया गया।
उसकी जिंदगी अब लगभग बर्बाद हो चुकी थी। 
उसने कई दिनों तक कमरे में खुद को,
बंद रखने के बाद बाहर निकलने की सोची। 

बाहर लोग उसे देख कर इशारे करने लगे थे।
उनकी फुसफुसाहट उसके कानो में गूंज की तरह थी। 
वो घर वापस आ गयी। 

बहुत सोचा उसने। बहुत हिम्मत जुटाई।
मगर ख़ुदकुशी के अलावा कोई रास्ता नजर नहीं आया। 
शायद यही उसे अब आराम दे सकता था। 
उसने चूहे मारने की दवा ढुंढी।
..और बिना एक पल गवाए गले में उतार लिया।
दस मिनट के अंदर वो इस दुनिया से निकल चुकी थी। 

उसके माँ बाप ने उसके रूम का दरवाजा खटखटाया।
मगर कोई जवाब नहीं मिला।
जब जवाब कुछ देर तक नहीं आया तो दरवाजा तोड़ा गया।
वो पलंग के एक कोने में मरी पड़ी थी। 
उसकी लाश देख कर माँ-बाप को तो पहले यकीन ही नहीं हुआ।
अभी जो लड़की चल फिर रही थी, लाश बन चुकी है। 

रिलेटिव, दोस्त, सहेलियां, टीचर।
सबको ये खबर जल्द ही मिल गयी।
ख़बर उस लड़के को भी मिली। 

सभी को बुरा लगा, उस लड़के को भी। 

उसे पछतावा हुआ, वो रोने लगा।
..और खुद को कोसने लगा।
लेकिन वक़्त मुड़कर वापस कहाँ आता है! 
उसकी लाश सफेद कफ़न में सबके सामने रखी थी।
जो उसे देख कर फब्तियां कस रहे थे, अब वे सभी रो रहे थे।
लेकिन अब उसे फर्क नहीं पड़ने वाला कुछ।
वो अब जा चुकी है। 

जिंदगी बिजली जैसी है।
आपका अपना भी इससे झटके दे सकता है। 
इसे संभाल के ईस्तेमाल कीजियेगा, तो ये रौशनी देगी।
जरा सी लापरवाही, सब कुछ जला कर राख कर देगी। 

सोशल मीडिया दो धारी तलवार है..!
यहाँ लड़कियों को हर पल चौकन्ना रहना होगा।

ज़रा सी चूक!

ज़िन्दगी भर का पछतावा बन सकती है।
कहानी कैसी? लगी कमेंट बॉक्स में बताएगा जरूर।
..और लाईक-शैयर कर औरों तक पहुँचाना भी ज़रूरी है।

– वाया 'काजल पासवान' 

#डिस्क्लेमर
पहले तो सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें कभी साझा नहीं करें। वैसे उम्मीद है आप यह कहानी पढ़ने के बाद ऐसा कतई नहीं करेंगे। लेकिन फिर भी, यदि कभी ज़िन्दगी में ऐसी परिस्थिति आये अथवा आपके किसी मित्र के साथ घटित हो, तो आत्महत्या की जगह, आप खुद अपना जीवन फिर से नई सीख के साथ जीने का साहस करें। यदि आपके मित्र के साथ घटित हो, तो उसे फिर से बोल्ड होकर जीवन जीने का हौसला दें।

याद रखें! लड़कियों पर, समाज द्वारा झूठी-मूठी ईज्ज़त बचाने की जिम्मेदारी सौंप दी गयी है। ..और लड़कियों ने, उसे उसने स्वीकार कर लिया है। हालाँकि अब कई अपवाद भी बन रहे हैं। कई लड़किया हारने के बाद, फिर से उठकर खड़ी हो जा रही हैं। ..और भेदभाव वाले समाज से नज़र से नज़र मिला कर बात कर रही हैं। हालाँकि उनकी संख्या कम है। क्या आप नहीं चाहते कि उनकी संख्या बढ़े?

आप सोचिये, यही घटना अगर एक लड़के के साथ घटेगी। तब वह आत्महत्या करना कभी नहीं सोचेगा। क्यों? क्योंकि समाज ने उसे ऐसी ट्रेनिंग दी है। हाँ भेदभाव वाली। बचपन से ही। लड़की को अलग ट्रेनिंग और लड़के को अलग ट्रेनिंग। ईज्ज़त और झूठे सम्मान के नाम पर। अतः आज इस परिस्थिति को बदलना है।

इसलिए आत्महत्या करना विकल्प नहीं है। उन्हें सोशल मीडिया पर सजग भी रहना है और सामाजिक सोच को भी बदल कर लड़कियों के हक़ में बराबरी वाले समाज का निर्माण भी करना है।

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