चाहे
युवक हो अथवा कोई युवती। यह बात दोनों पर कमोबेश लागू होती है। एक युवक जानना चाहता
है कि क्या जिससे मैं प्रेम करता हूँ, वह भी मुझसे प्रेम करती होगी? ऐसा ही शायद
एक युवती भी सोचती है। लेकिन ज्यादातर मामलों में प्रेम का ईज़हार युवक ही करते हैं।
ऐसा क्यों? पढ़िए आरती तिवारी का दृष्टिकोण। वे कहती हैं, “मेरे इस जवाब से
कुछ लोग असहमत हो सकते है, इसलिए इस बात को पहले ही स्पष्ट रखना चाहती हूँ कि
ये केवल मेरा नजरिया है, कोई प्रमाण नही है।”
तस्वीर फूटलूज फॉरएवर से साभार। |
मुझे लगता है कि लड़के प्रेम की अभिव्यक्ति सरलता से कर लेते है और एक लड़की चाहे दिल में कितना भी प्रेम हो, लेकिन उसकी अभिव्यक्ति नहीं कर पातीं। वह लड़के द्वारा कहने का पूरे धैर्य के साथ इंतजार करती है।
एक पुरुष और स्त्री के प्रेम में अंतर होता है। पुरुष जब किसी
स्त्री के प्रेम में पड़ता है, तो बड़ी तीव्रता से उसे पाने की चाह होती है। वह दिन
-रात उससे अपनी बात बोलने के उपाय खोजता रहता है और इसी स्वभाववश, वह अपनी बात
जल्दी ही स्त्री तक पहुँचा देता है। और जब तक कोई स्त्री उसे स्वीकार न कर ले, तब
तक पुरुष अपनी पूरी कोशिश करता है। तब तक स्त्री उसके लिए सर्वस्व होती है। लेकिन
जब स्त्री का प्रेम प्राप्त कर लिया, तो वह आश्वस्त हो जाता है और फिर यहाँ से
शुरू होती है स्त्री की यात्रा।
जब कोई स्त्री पुरूष का प्रेम प्रस्ताव प्राप्त करती है, तो समय
लेती है। वह जल्दी नहीं करती, बल्कि उसे उस प्रेम की गहराई को समझने
में वक़्त लगता है। लेकिन जब वह पुरुष के प्रस्ताव को स्वीकार करती है, तो
पूर्ण रूप से करती है। फिर वह वापस लौटने की स्थिति में नही होती। स्त्री का स्वभाव
है कि एक बार डूबने के बाद वह कभी निकलना नही चाहती। ऊबन नही होती उसे।
जबकि एक पुरुष जल्दी ही ऊबन महसूस करने लगता है और एक बार गहराई में जाकर फिर
बाहर निकलने की कोशिश होती है पुरुष की।
प्रेम में जाते समय अभिव्यक्ति पुरुष द्वारा होती है। लेकिन जब प्रेम पूर्ण होता है, तो ये अभिव्यक्ति स्त्री
द्वारा होती है।
स्त्री का स्वभाव है, धैर्य के साथ अपने प्रेम का इंतजार करना। और उसे स्वीकार करने के बाद गहरे और गहरे तक जाना। प्रेम में
ही डूब कर, हर स्त्री अपने परिवार को अपना सारा जीवन आनंद के साथ समर्पित कर देती
है।