काश मैं सिर्फ एक इंसान होता !

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काश! मैं सिर्फ एक इंसान होता
मां हिंदू होती, बाप मुसलमान होता
या मां मुसलमान होती, बाप हिंदू होता
मेरे मौला इससे क्‍या फर्क पड़ता
आखिर मालिक तो दोनों का एक ही होता

आकाश के गोल आइने में
एक जवां फरिश्‍ते का चेहरा नजर आता है
हमने लकीरें खींची, फरिश्‍ता बुढ़ा हो गया
अब उस चेहरे पर हिंदुस्‍तान - पाकिस्‍तान 
ओर चीन की झुर्रियां नजर आती हैं

काश मीरा मेरी बहन होती,
मोहम्‍मद मेरा भाई होता
अजान की पाक आवाज होती,
बुद्घ का ध्‍यान, महावीर का निर्वाण
तीनों में जरतुश्‍त की वैराग्‍यमयी अग्नि
आंखों में झिझकती करूणा

काश हर मंदिर में नानक होता,
मस्जिद में मरदाना
कहते हैं कि फरिश्‍ते सिर्फ आसमान में होते हैं,
जमीन पर कुछ इंसान....

काश जमीन पर भी फरिश्‍तों का एक मोहल्‍ला होता...
अगर कुछ ना भी होता तो भी मेरे मौला,
दरिन्‍दों का जहां तो नहीं होता

काश मैं सिर्फ एक इंसान होता...

सुधांशु पटनी

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