विवाह प्रस्ताव हमेशा लड़की पक्ष की तरफ से आये, क्या यह रुढ़िवादी सोच नहीं?


रूढ़िवादी सामाजिक व्यवस्था ना केवल महिला के लिए हानिकारक है, बल्कि पुरूष के लिए भी!! हाल ही में एक पुरूष मित्र से शादी को लेकर डिस्कसन से यह बात निकलकर आयी कि, मेरी शादी के लिए पसंद की लड़की के रिश्ते नही आ रहे हैं। मैने कहा और आपको जहां पसंद आए वहां आप रिश्ता का आफर लेकर जा भी नही सकते!

अब सही बात है, लड़का को शादी करना है तो उसके दरवाजे पर जब तक लड़की का पिता अपनी बेटी के लिए रिश्ता लेकर नही जाएगा तब तक उसके पास शादी के चुनाव के दरवाजे बंद ही है। वह चाहकर भी अपने पसंद की लड़की का चुनाव किसी के घर जाकर रिश्ते की बात नही रख सकता है।

अब सीधी सी बात है, लड़की अनपढ़ से लेकर पढ़ी लिखी है, चाहे जैसी भी है उसका पिता अपनी बेटी के लिए योग्य वर के लिए खोज बीन करके एक बार लड़के के दरवाजे तो जा ही सकता है। एक बार क्या बार बार जा सकता है। जबकि लड़का या उसका पिता ना तो समाज में घूमकर अपने बेटे के लिए उचित लड़की तलाश सकता है और ना ही किसी लड़की वाले के उपर दबाव बना सकता है कि मै अपने बेटे का शादी यहां करना चाहता हूं। 

यदा कदा यदि किसी पसंद की लड़की का पिता लड़के के घर गया तो भी यदि लड़की के घर वालों की तरफ से कोई पहल नही होती है तो लड़के के घरवालों के पास इंतजार करने के शिवाय कुछ नही बचता है।

इसे समाज लड़का वाला होने के छद्म घमंड से ढक देता है, कि मै लड़का वाला हूं। अब लड़का या उसके घर वालों के पास केवल वही आप्सन बचते है जो समय और परिस्थिति के अनुसार उपलब्ध हों। आप अब यदि  सोच रहे हैं कि लड़की तो कैसी भी हो चल जाएगी तो गलत समझ रहे हैं। आज की जरूरतें अलग है, समाज की समस्याएं अलग हैं। 

आज पत्नी की जरूरत महज़ एक सेविका की नहीं है, बल्कि उसकी जरूरत जीवन के हर मोड़ पर कंधा से कंधा मिलाकर चलने की  है, सलाह लेने की भी है और यह समझने की भी कि पुरूष यदि समाज में नौकरी आदि करने जा रहा है, तो वहां महिलाएं भी होंगी। वहां महिला मित्र भी है, और यदि महिला मित्र है तो वह केवल मित्र है ना कि प्रेमिका।

भारतीय समाज ट्रांजिसन के दौर से गुजर रहा है, जहां प्राचीन परंपराओ को भी नही तोड़ना है आधुनिकता को भी एडजष्ट करना है। ऐसे में उचित जीवनसाथी ना मिलना, दहेज के लालच में किसी ऐसी महिला से भी लड़का शादी करने को मजबूर भी होगा, जिसके साथ नौकरी और समाज को एडजष्ट करना मुश्किल होगा या इन जगहो पर सहयोग के नाम पर भी शून्य मिलेगा। 

इसलिए लड़का और उनके घर वालो को इस रूढ़िवादी व्यवस्था को तोड़कर अपने बेहतर जीवन के लिए उचित लड़की को उस तरह से भी तलास लेना चाहिए जैसे लड़की वाला अपने बेटी के लिए वर तलासता है।
तस्वीर प्रतीकात्मक वेब दुनिया से साभार
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