कविता: सखियों तुम समझदार बनो!


सखियों तुम समझदार बनो..!
कल्पना लोक में जीना अब छोड़ दो।
प्रेम की परिभाषा बदलकर तो देखो
गुच्छा गुलाब का अब वेस्ट जाने न दो।

खास मौको पर मिले सरप्राइज गिफ्ट से ही
मत आंको अपने प्यार को
प्यार का महत्व उससे भी खास है।

प्यार का मतलब सिर्फ साथ जीना-मरना नहीं,
बल्कि अपने-अपने शर्तों के साथ
एक-दूसरे को जीने देना भी है।
सखियों तुम समझदार बनो..!

गुलाब, कार्ड, गिफ्ट्स तो ख़रीद सकता है कोई भी
तुन्हें चाहिए वो साथ वो सम्मान
जिसे पाकर तुम और निखरती जाओ।

जब तुम अंतर्मन से निखरती जाओगी
तब तुम्हें किसी भी खास दिन का इंतजार नहीं रहेगा
क्योंकि हर दिन तुम्हारे लिए खास होगा।
सखियों तुम समझदार बनो....

तस्वीर प्रतीकात्मक THE GIRL WHO KNOWS से साभार।
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