कविता: मुझे तलाश है ऐसे पुरुष साथी की, जो..!


मुझे तलाश है ऐसे पुरुष साथी की..
जो ख्वाबों में नहीं, विचारों में नहीं,
बल्कि कर्मों से मेरे साथ हो

प्रेरणा बनें हर किसी के लिए,
उससे मेरा ऐसा नाता हो
गर.. मेरी कमजोरी का पता हो,
तो भी उसे हिम्मत में बदल देने की चाह रखता हो

मुझे तलाश है ऐसे पुरुष साथी की..
जो बदलना चाहता हो उस परिभाषा को
..पिता, भाई, पति, पुत्र को बोझ-मुक्त कर,
तोड़ देना चाहता हो, उस बंधन को
सदियों से जिसने स्त्री को जकड़ा है

कदम मिलाकर साथ चलना हो जिसे मंजूर,
मुझे तलाश है ऐसे पुरुष साथी की..

प्रेम बाँटने से पहले, प्रेम करना वह जाने
जिसे आता हो इज्जत करना
जिसकी भाषा में न हो गाली,
न हो उपेक्षा और न हो व्यंग्य
जिस पर मैं कर सकूँ गुमान
मुझे तलाश है ऐसे पुरुष साथी की..

जो भावनाओं को समझे,
स्वाभिमान की कदर करे
पुरुष-स्त्री के बीच के असमानता को
ख़त्म करने के लिए पहल करे

जो दे सकता है मेरा साथ,
खुले हाथ को मुट्ठी बनाने में,
ताकि एकता को कोई तोड़ न सके,
मुझे तलाश है ऐसे पुरुष साथी की..


लेखिका साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अंतर्गत पी-एच.डी. शोधार्थी हैं। उनके बारे में अधिक जानने के लिए आप उन्हें फेसबुक पर आप फॉलो कर सकते हैं। लिंक के लिए उनके नाम पर क्लिक करें।

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तस्वीर प्रतीकात्मक ENEWS से साभार।  

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